सरकारी नौकरी के नाम पर चार बेरोजगार युवकों ने कर डाली 29 लाख की ठगी

सरकारी नौकरी के नाम पर चार बेरोजगार युवकों ने कर डाली 29 लाख की ठगी

सरकारी नौकरी का झांसा देकर चार लोगों से 29 लाख रुपये ठगने का आरेाप के खिलाफ पुलिस ने एक और मामला दर्ज कर लिया है। वहीं आरोपी को मुखानी पुलिस पहले ही ठगी के आरोप में जेल भेज चुकी है। पुलिस के अनुसार लछमपुर गौलापार निवासी कुंजन पोखरिया की मुलाकात दिसंबर 2016 में रितेश पांडे पुत्र मोहन चंद्र पांडे निवासी मृदुल विहार पीलीकोठी से हुई थी।

इसके बाद दोनों की मुलाकात होती रहती थी। इसी बीच रितेश पांडे ने बताया कि उत्तराखंड उच्च न्यायालय में स्टेनोग्राफर की सीधी भर्ती हो रही है और उक्त भर्ती उसके एक रिश्तेदार द्वारा करवाई जा रही है। कुंजन ने अपनी मामा की बेटी पूजा डसीला की नौकरी लगवाने को कहा तो रितेश बोला कि पांच लाख का इंतजाम कर लो काम हो जाएगा।

लेकिन उसने ज्यादा पैसे होने की बात कही तो बात तीन लाख में तय हो गई। कुंजन ने 9 मई 2017 को 3 लाख रुपये दे दिए। छह माह के भीतर नौकरी दिलवाने की बात कही गई। इसी बीच अगस्त 2017 में रितेश ने बताया कि डिस्ट्रिक्ट कोऑपरेटिव बैंक व समाज कल्याण विभाग में जो भर्तियां रुकी थीं, उनका रिजल्ट आने वाला है।

यदि उसका कोई परिचित या रिश्तेदार है तो वह उनकी नौकरी भी लगवा सकता है। इस संबंध में कुंजन ने अपने बड़े भाई पुष्कर सिंह पोखरिया व अपने परिचित कृष्णा चंद पुत्र गोपाल चंद लछमपुर गौलापार की मुलाकात रितेश पांडे से कराई। इसके अलावा उनके मामा के बेटे नागेंद्र कफलिया से भी नौकरी लगाने की बात हुई।

इसके एवज में सभी ने कुल 29 लाख रुपये एडवांस में दे दिए, लेकिन आज तक नौकरी नहीं लगी। एसओ प्रमोद पाठक ने बताया कि आरोपी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है, पुलिस मामले की जांच में जुट गई है।


बैंक मैनेजर के 15 तो चपरासी के 4 लाख रखे थे रेट:आरोपी रितेश पांडे ने नौकरी के हिसाब से हर किसी का रुपये अलग-अलग तय कर रखे थे। असिस्टेंट ब्रांच मैनेजर के लिए 15 लाख, चपरासी के लिए 4 लाख, कोर्ट में नौकरी लगाने के 5 लाख रेट फिक्स थे। इसके बाद मोलभाव करने पर कम भी कर दिया करता था। लेकिन इसके बाद न तो नौकरी मिलती थी और न ही पैसे वापस मिलते थे। मुखानी पुलिस आरोपी को पहले ही जेल भेज चुकी है।

उत्तराखंड