पाठ्यक्रम का अभिन्न हिस्सा बनेगी भारतीय ज्ञान परंपरा, इसे लेकर तैयार किया जा रहा एससीएफ

पाठ्यक्रम का अभिन्न हिस्सा बनेगी भारतीय ज्ञान परंपरा, इसे लेकर तैयार किया जा रहा एससीएफ

देहरादून: भारतीय ज्ञान परंपरा प्रदेश में विद्यालयी शिक्षा के नए पाठ्यक्रम का अभिन्न हिस्सा बनने जा रही है। उत्तराखंड की लोक संस्कृति, आध्यात्मिकता और विभिन्न क्षेत्रों में पारंपरिक ज्ञान को पाठ्यक्रम का रूप देने के लिए स्टेट करिकुलम फ्रेमवर्क (एससीएफ) तैयार किया जा रहा है। इसके अंतर्गत पद्म पुरस्कारों से सम्मानित महानुभावों और विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों समेत दो दर्जन से अधिक प्रबद्ध जनों से सुझाव लेकर पाठ्यक्रम को अंतिम रूप दिया जाएगा। शिक्षा मंत्री डा धन सिंह रावत ने कहा कि इन सुझावों के आधार पर उद्देश्यपरक पाठ्यक्रम राज्य को मिल सकेगा।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत उत्तराखंड पहली बार एससीएफ का निर्माण कर रहा है। नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क (एनसीएफ) की तर्ज पर ही विकसित किया जाएगा। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भारतीय ज्ञान परंपरा को आगे बढ़ाने और स्थानीय समुदायों की इसमें भागीदारी को मजबूत करने पर बल दिया गया है। एससीएफ के माध्यम से प्रदेश के सरकारी विद्यालयों के लिए पाठ्यक्रम तैयार किया जा रहा है। 25 फोकस ग्रुप इस कार्य में जुड़े हैं। स्थानीय और प्रदेश स्तरीय सामग्री को पाठ्यक्रम में शामिल करने के लिए ब्लाक स्तर पर मोबाइल एप सर्वे किया जा चुका है। इसके साथ जिला स्तर पर स्टेक होल्डर्स से सहायता ली जा रही है।

इनमें शिक्षक प्रशिक्षक, विद्यालय प्रधान, शिक्षक, छात्र, विषय विशेषज्ञ, नव साक्षर, आंगनबाड़ी कार्यकत्र्ता एवं स्थानीय निवासी शामिल हैं। इनसे विचार-विमर्श कर एससीएफ के अंतर्गत 25 पेपर बनाए जाएंगे। शिक्षा मंत्री डा धन सिंह रावत का कहना है कि एससीएफ में समृद्ध भारतीय ज्ञान परंपरा स्पष्ट रूप से झलकेगा। गीता समेत तमाम पौराणिक ग्रंथों में ज्ञान से विद्यार्थी लाभान्वित होंगे। इस संबंध में प्रदेश के पद्म पुरस्कार से सम्मानित, विभिन्न विषयों के जानकारों के सुझाव भी लिए जाएंगे। इससे एससीएफ को समृद्ध करने में सहायता मिलेगी। नए पाठ्यक्रम में तकरीबन 30 प्रतिशत हिस्सेदारी राज्य से संबंधित विषयों की होगी।

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