भारतीय रिजर्व बैंक की स्वीकृति के बाद राज्य के कॉपरेटिव बैंक अब दे सकेंगे 75 लाख का आवास ऋण

भारतीय रिजर्व बैंक की स्वीकृति के बाद राज्य के कॉपरेटिव बैंक अब दे सकेंगे 75 लाख का आवास ऋण

उत्तराखंड के जिला सहकारी एवं राज्य सहकारी बैंकों से आवास लेने के इच्छुक लोगों के लिए एक खुशखबरी है अब लोग 20 लाख की जगह 50 लाख, 30 लाख की जगह 75 लाख रुपय आवास के लिए ऋण ले सकते हैं। भारतीय रिजर्व बैंक ने उत्तराखंड राज्य सहकारी समितियाँ के निबंधक को यह अनुमति दे दी है। पहले आवास के लिए डीसीबी से 20 लाख और एससीबी से 30 लाख की ऋण लेने की अधिकतम सीमा थी। ऋण लेने की सीमा बढ़ाने से हजारों लोगों को बेनिफिट होगा जिला सहकारी बैंकों में सैकड़ों ऐसी फाइलें हैं जो 20 लाख से अधिक का आवास ऋण देना चाहते हैं।

उत्तराखंड के रजिस्टार कोऑपरेटिव श्री आलोक कुमार पांडेय ने बताया कि सहकारी बैंक गृह निर्माण योजना प्रदेश में सहकारी बैकों के ऋण व्यवसाय को बढ़ाये जाने की संभावनाओं के दृष्टिगत सहकारी बैंकों की ऋण सीमा को भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा लम्बे अन्तराल के पश्चात सहकारी बैंकों की आवश्यकताओ को दृष्टिगत रखते हुये रिजर्व बैंक ने व्यक्तिगत आवास ऋण सीमा में सहकारी बैकों की नेटवर्थ के आधार पर जिन बैंकों की नेटवर्थ 100.00 करोड़ से कम है, उन्हें पूर्व में स्वीकृत ऋण मु0 20.00 लाख के स्थान पर संशोधित कर ० 50.00 लाख एवं जिन डी०सी०बी० की नेटवर्थ 100.00 करोड़ से अधिक है, उन्हें पूर्व में स्वीकृत ऋण मु० 30.00 लाख के स्थान पर संशोधित कर मु0 75.00 लाख कर दिया गया है।

रजिस्टार श्री पांडेय ने बताया कि, भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के क्रम में जिला सहकारी बैंकों के लिये निबन्धक, सहकारी समितियों उत्तराखण्ड देहरादून की ओर से परिपत्र जारी कर दिया गया हैं।

श्री पांडेय ने बताया कि, सहकारी बैंकों हेतु लागू उक्त योजना से ऋण व्यवसाय / बैंकों की लाभप्रदत्ता में वृद्धि होने के साथ ही अन्य विभागों के वेतनभोगी अधिकारी / कर्मचारी सहकारी बैंकों की ऋण सीमा बढ़ने से उनके द्वारा अपने खाते अन्य राष्ट्रीयकृत बैकों में हस्तान्तरित नहीं किये जायेगे। जिससे सहकारी बैंकों को ब्याज स्वरूप मिलने वाली धनराशि में बढोत्तरी होगी।

अपर निबन्धक कॉपरेटिव (बैंकिंग ) ईरा उप्रेती ने बताया कि यह योजना सहकारिता से जुड़े समस्त खाताधारकों के लिये भी अत्यन्त लाभप्रद हैं, क्योंकि पूर्व में सहकारी गृह निर्माण योजना के तहत स्वीकृत की जाने वाली धनराशि जिला सहकारी बैंकों हेतु मात्र 20 लाख एवं राज्य सहकारी बैक 30 लाख थी जो मंहगाई के दृष्टिगत कम थी। जिसके फलस्वरूप सहकारी बैंकों से आवास हेतु ऋण लेने में खाताधारक रूचि नहीं रखते थे। परन्तु उक्त योजना के तहत सहकारी गृह निर्माण योजना ऋण सीमा बढ़ाये जाने से सहकारी बैंक न केवल अपने व्यवसाय को बढ़ाये जाने हेतु अग्रसर होगें अपितु वर्तमान समय में राष्ट्रीयकृत बैकों से हो रही प्रतिस्पर्धा में बने रहेंगे।

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