जांच पड़ताल- क्या है सहकारिता बैंक भर्ती घोटाले का सच जानिए

जांच पड़ताल- क्या है सहकारिता बैंक भर्ती घोटाले का सच जानिए

देहरादून। फेक न्यूज ऐसी खबरें, कहानियां या झांसे हैं जो जानबूझकर गलत सूचना देने या पाठकों को धोखा देने के लिए बनाई जाती हैं। आमतौर पर, इन कहानियों को या तो लोगों के विचारों को प्रभावित करने, राजनीतिक एजैंडा को आगे बढ़ाने या भ्रम पैदा करने के लिए बनाया जाता है।

इन्ही फेक खबरों की पड़ताल जन भड़ास ने करी पूरी पड़ताल में पता चला कि  आजकल उत्तराखंड बिना किसी प्रूफ के किसी पर भी भर्ती से सम्बंधित  कुछ भी चल रही है प्रदेश में भर्ती घोटालो का दौर चल रहा है हर तरफ सिर्फ इन्ही घोटालो की चर्चा है

आइये आपको बताते है जो सोशल मीडिया में सहकारिता भर्ती में घोटाले का हल्ला हो रखा उस का असली सच क्या है सबसे पहले आपको यह बता दे सहकारिता भर्ती घोटाला गलत तरीके से प्रचारित किया जा रहा है आपको बता दे सहकारिता के अंतर्गत जितनी भी समिति बोर्ड आते वे सारे अपने आप मे स्वायत होते है सभी बोर्डों को असीमित अधिकार प्रप्त होते है इन्ही अधिकारों का उपयोग करते हुए इन बोर्डो ने उस समय भर्ती कर डाली जब प्रदेश में अचार संहिता लगी हुई थी और प्रदेश में सरकार ही नहीं बनी थी।
बैंक के अपने बोर्ड होते हैं। इन्हें तमाम शक्तियां हासिल हैं। इसपर बतौर विभाग सामान्य तौर पर कार्यकारी मामलों में हस्तक्षेप नहीं कर सकता। लेकिन बड़ी गड़बड़ियों की शिकायत मिलने पर पारदर्शिता के साथ निष्पक्ष जांच विभाग कर सकता। जो इस  प्रकरण में भी जारी है।

जिला सहकारी बैंकों में चतुर्थ श्रेणी के पदों पर भर्ती हुई थी। देहरादून, यूएसनगर और पिथौरागढ़ डीसीबी ने रिजल्ट भी जारी कर दिया था। इन भर्तियों में गड़बड़ी की शिकायतों पर जैसे ही डॉ धन सिंह रावत प्रदेश में दुसरी बार सहकारिता मंत्री बने उसी दिन डॉ धन सिंह रावत ने अन्य सभी बैंकों को रिजल्ट जारी न करने के आदेश दिए थे। और जिन बैंकों ने रिजल्ट जारी कर दिया था, वहां ज्वाइनिंग न कराने के आदेश दिए गए थे। इसके बाद भी बैंक के बोर्ड और प्रबंधन ने मिलकर मनमानी करते हुए ज्वाइनिंग करा दी थी और कर्मचारियों की तनख्वाह भी निकाली।


देहरादून और पिथौरागढ़ बैंक की शासन को सौंपी गई जांच रिपोर्ट में भर्ती प्रक्रिया में गड़बड़ी की पुष्टि की गई। भर्ती प्रक्रिया को बैंक प्रबंधन ने अपने स्तर पर ही बदल दिया। जिन लोगों का चयन किया गया, उनमें से कई खेल प्रमाण पत्र भी संदिग्ध बताए जा रहे हैं।
सहकारिता से जुड़े सूत्र बताते हैं कि 15 सितंबर तक पूरी जांच रिपोर्ट विभाग के आलाधिकारियों के सम्मुख पेश कर ली जाएगी। इसके बाद जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई होना तय है। एक जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष ने नाम न छपने के शर्त पर बताया की इन तीनो बैंक की चयन समिति ने भर्ती प्रक्रिया में बड़ा घोटाला किया है उन्होंने कहा जांच रिपोर्ट आने पर इन चयन समिति का बचना नामुमकिन है।
भर्ती  में बैंक के बोर्ड के कई निदेशकों व अफसरों के करीबियों को भी नौकरी मिली है। एक जीएम स्तर के अफसर के बेटे, एक एआर के वाहन चालक समेत कई एआर के करीबियों को नोकरी मिली।

सहकारिता मंत्री इस मामले को बेहद गंभीरता से ले रहे हैं। लिहाजा विभाग के स्तर पर मामले में कोई भी अधिकारी जांच को प्रभावित न कर सके इसके लिए नियुक्ति में शामिल सभी अधिकारियों को पहले ही अटैच कर दिया गया है।

बैंक भर्ती में कब क्या हुआ
उधम सिंह नगर

शारिरिक 21/12/21 — 24/12/2021

इंटरव्यू-  27-12-21 – 30-12.-21

निबन्धक का अनुमोदन – 21-02- 2022

नियुक्ति तिथि- 15-03-22 से 16-03-22

पिथौरागढ़
शारिरिक 17/12/21 — 19/12/2021

इंटरव्यू- → 27.12.2021 से 31.12. 2021

निबन्धक का अनुमोदन – 21- 02-2022

नियुक्ति तिथि- 22-03-22 से 24-03-22

देहरादून

शारिरिक  19-12. 21  से  20.12.21

इंटरव्यू-  21.12.21 से  01.01.21

निबन्धक का अनुमोदन  23-03-2022

नियुक्ति तिथि  24.03.22 से 29.03.22

कॉपरेटिव बैंकों की इस भर्ती में बैंक और रजिस्ट्रार ऑफिस जिस प्रकार से तेजी दिखाई है उससे साफ पता चलता है कि पूरी की पूरी दाल काली है सूत्र बताते है कि इन सभी ने मिलकर भर्ती में दबा कर सौदेबाजी करी। विधानसभा चुनाव नतीजे आने से पहले ही रजिस्ट्रार ऑफिस ने मंजूरी दी। सीएम और मंत्रियों के शपथ लेने से पहले ही नियुक्ति भी दे दी। यूएसनगर में रजिस्ट्रार ऑफिस ने 21 फरवरी को मंजूरी दी, 16 मार्च को नियुक्ति दी । पिथौरागढ़ में अगले ही दिन 22 फरवरी को नियुक्ति दे दी।

पूरी पड़ताल के दौरान हमारी टीम को इस नतीजे पर पहुँची की इस भर्ती में बैंक प्रबंधन और कुछ अधिकारियों की मिली भगत है।

जल्द आएगा इस भर्ती घोटाले का भाग 2

उत्तराखंड