सुमित्रानंदन पंत जयंती :  पांच कमरों में हैं प्रकृति के सुकुमार कवि की स्मृतियां

सुमित्रानंदन पंत जयंती : पांच कमरों में हैं प्रकृति के सुकुमार कवि की स्मृतियां

बागेश्वर: भारत का स्विट्जरलैंड कहा जाने वाला कौसानी जहां पर्यटकों को अपने नैसर्गिक सौन्दर्य से आकर्षित करता है, वहीं यहां स्थित सुमित्रानंदन पंत वीथिका को शासन-प्रशासन की अनदेखी के चलते आज तक राजकीय संग्रहालय का दर्जा नहीं मिल पाया है। राजकीय संग्रहालय का दर्जा मिलने पर यहां सुविधाओं में जहां और विस्तार होगा वहीं पर्यटन की संभावनाएं और बढेंगी।

वर्ष 1979 में तत्कालीन उत्तर प्रदेश शासन ने पंत वीथिका स्थापित की। आज तक न तो राजकीय संग्रहालय का दर्जा मिल पाया और न ही उनके नाम पर साहित्य अकादमी बनी। तत्कालीन सरकार ने उनके भवन को पं. गोविंद बल्लभ पंत राजकीय संग्रहालय अल्मोड़ा की इकाई के रूप में सुमित्रानंदन पंत वीथिका नाम देकर अपनी इतिश्री कर दी।

कितनी विडंबना है कि एक अंतरराष्ट्रीय कवि की वीथिका के पीछे लगातार साजिशें होती रही। पहले यहां सुमित्रानंदन पंत संग्रहालय बनाए जाने की योजना सरकार ने बनाई। यहां तीन माह संग्रहालय भी चला, किंतु तत्कालीन निदेशक ने शासन को अपनी रिपोर्ट भेजकर संग्रहालय को अल्मोड़ा स्थानांतरित कर दिया।

ऐसी है कौसानी स्थित पंत वीथिका

छायावाद के महाकवि सुमित्रानंदन पंत का जन्म 20 मई सन 1900 को कौसानी के उस भवन में हुआ था, जो आज पंत वीथिका है। कविवर पंत के पैतृक मूल आवास में पांच कक्ष हैं।

  • प्रथम कक्ष में पंत जी की जन्म कुंडली, बाल्यावस्था से युवावस्था तक के चित्र, उनके पिता गंगाधर पंत का तैल चित्र, उनके ज्येष्ठ भाइयों के छायाचित्र और उनके निजी वस्तुओं को प्रदर्शित किया गया है।
  • द्वितीय कक्ष में पंत जी का प्रयुक्त तखत, शाल, चादर के अतिरिक्त अनेक साहित्यकारों के साथ उनके छायाचित्र तथा मधुशाला के कवि हरिवंश राय बच्चन ने पंत के नाम लिखे पत्रों को सहेज कर दर्शनार्थ रखा गया है।
  • तीसरे कक्ष में कवि पंत की निजी वस्तुएं, उनकी विदेश यात्रा से संबंधित छायाचित्र तथा उन्हें प्रदान किए गए प्रशस्ति पत्रों को रखा गया है।
  • चौथे कमरे में उनके उपयोग में लाई गई अध्ययन सामग्री, मेज, कुर्सी, बुक स्टैंड तथा उन्हें प्राप्त पुरस्कारों से संबंधित सामग्री रखी गई है। इसे अध्ययन कक्ष बनाया गया है।
  • बहिर्गमन कक्ष में पंत जी की मृत्यु से 20 दिन पूर्व लिया गया छायाचित्र तथा उनके जीवन से संबंधित अन्य छायाचित्र रखे गए हैं। यह कक्ष पंतजी की जीवन यात्रा के अंतिम चरण का परिचायक है।
उत्तराखंड