झाझरा सब स्टेशन में 80 एमवीए ट्रांसफार्मर के दो बार खराब होने के बाद सामने आए घोटाले में चार अधिकारियों पर कार्रवाई की तलवार

झाझरा सब स्टेशन में 80 एमवीए ट्रांसफार्मर के दो बार खराब होने के बाद सामने आए घोटाले में चार अधिकारियों पर कार्रवाई की तलवार

देहरादून में झाझरा सब स्टेशन में 80 एमवीए ट्रांसफार्मर के दो बार खराब होने के बाद सामने आए घोटाले में चार अधिकारियों पर कार्रवाई की तलवार लटक गई है। पावर ट्रांसमिशन कारपोरेशन ऑफ उत्तराखंड लिमिटेड(पिटकुल) प्रबंधन की ओर से इस संबंध में चार आरोपी अधिकारियों से जवाब लेने के बाद फाइल विधि विभाग के पास भेजी गई है। इस मामले में आठ आरोपी अधिकारी बरी हो चुके हैं।

झाझरा सब स्टेशन ट्रांसफार्मर घोटाले में वर्ष 2017 में तत्कालीन पिटकुल एमडी के निर्देशों पर मामले की जांच मुख्य अभियंता दीप साह को दी गई थी। उनकी जांच रिपोर्ट के आधार पर पिटकुल ने चार अधिकारियों को निलंबित कर दिया था। मामले में दोषी चारों अधिकारियों को अन्यत्र ट्रांसफर भी कर दिया गया था। बाद में निगम प्रबंधन ने आईआईटी रुड़की के प्रोफेसर से थर्ड पार्टी जांच कराई और विचार करने के बाद चारों अधिकारियों का निलंबन खत्म कर दिया। इसके बाद 2017 में ही दूसरी छह सदस्यीय जांच समिति गठित की गई। इस जांच समिति ने अपनी जांच में वर्ष 2018 में 12 अधिकारियों को आरोपी बनाया।

इस आधार पर इन सभी 12 आरोपियों को आरोप पत्र जारी कर दिए गए थे। इन सभी से जवाब मांगा गया। जवाब मिलने के बाद इनमें से सात को दोषमुक्त कर दिया गया। एक अन्य को अनुपूरक आरोप पत्र होने पर दोषमुक्त कर दिया गया। अब अंतिम तौर पर चार अधिकारियों को मामले में आरोपी बनाते हुए उनसे जवाब मांगा गया। उनका जवाब आया तो निगम प्रबंधन ने आगे की कार्रवाई के लिए विधि विभाग को भेजा हुआ है। विधि विभाग से जवाब आते ही चारों दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई होनी तय है।

दरअसल, झाझरा सब स्टेशन में आईएमपी कंपनी से ट्रांसफार्मर खरीदे गए थे। इसके खराब होने पर यह बात सामने आई थी कि ट्रांसफार्मर को हैंड ओवर लेने से पहले पिटकुल के इंजीनियरों, अफसरों ने विभागीय कर्तव्यों का सही तरीके से निर्वहन नहीं किया। इसी तरह, बैंक गारंटी लौटाने में भी अफसरों की भूमिका संदिग्ध नजर आ रही है। दरअसल, पहली बार मई 2016 में जब ट्रांसफार्मर खराब हुआ तो इसे मेंटेनेंस के लिए कंपनी को भेजा गया। तब इसके एवज में पिटकुल ने कंपनी से ट्रांसफार्मर के मूल्य के बराबर लगभग पांच करोड़ रुपये की बैंक गारंटी पिटकुल ने ली। इस बीच, सितंबर में पिटकुल अफसरों ने गुपचुप तरीके से कंपनी को बैंक गारंटी वापस लौटा दी। जबकि ट्रांसफार्मर पिटकुल के हैंड ओवर हुआ ही नहीं था। ट्रांसफार्मर दोबारा खराब होने पर मेंटेनेंस के लिए जा चुका है, लेकिन पिटकुल के पास गारंटी के रूप में कुछ नहीं है।

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