सुशीला तिवारी अस्पताल के लिए नियुक्त दस डॉक्टरों को 23 दिन बाद भी नहीं ज्‍वान‍िंग लेटर

सुशीला तिवारी अस्पताल के लिए नियुक्त दस डॉक्टरों को 23 दिन बाद भी नहीं ज्‍वान‍िंग लेटर

हल्द्वानी : चिकित्सा शिक्षा विभाग में डाक्टरों की कमी का हर कोई रोना रोता है। मंत्री से लेकर नौकरशाह तक। इस अव्यवस्था या कमी को दूर करने के लिए जब समय पर निर्णय लेने का सवाल होता तो सभी मुंह फेरे नजर आते हैं। राजकीय मेडिकल कालेज हल्द्वानी की हकीकत यह सच बयां कर रही है। 22 दिन पहले 10 डाक्टरों का चयन किया गया था। दुर्भाग्य है कि शासन स्तर पर इन डाक्टरों के लिए नियुक्ति पत्र जारी नहीं किया जा सका।

राजकीय मेडिकल कालेज हल्द्वानी में 23 अप्रैल, 2022 को डाक्टरों के 90 पदों के लिए साक्षात्कार हुआ। संविदा स्तर की इस नियुक्ति प्रक्रिया में 10 डाक्टर शामिल हुए। इन सभी का चयन भी हो गया था। शासन की लापरवाही व लेटलतीफी की कार्यशैली का आलम यह है कि 15 मई तक नियुक्ति पत्र जारी नहीं किए गए हैं। ऐसी विषम स्थिति के बावजूद भी सरकारी सिस्टम ध्वस्त है, जब मेडिकल कालेज में पिछले दो महीने से रेडियो डायग्नोसिस में एक भी रेडियोलाजिस्ट नहीं है। अल्ट्रासाउंड कक्ष पर लटका ताला मरीजों को चिढ़ा रहा है। जबकि इस विभाग के लिए भी एक असिस्टेंट प्रोफेसर का चयन हुआ है।

इन विभागों के लिए हुआ चयन

मेडिसिन, एनेस्थीसिया, बायोकैमिस्ट्री, रेडियोलाजी, रेडियोथेरेपी, नेत्र रोग विभाग, रेडियो डायग्नोसिस, फिजियोलाजी, स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग में एक-एक असिस्टेंट प्रोफेसर और फार्माकोलोजी में एक एसोसिएट प्रोफेसर का चयन हुआ है।

ऐसे में कैसे चले प्राचार्य के अधिकार

चिकित्सा शिक्षा मंत्री डा. धन सिंह रावत ने कहा है कि मेडिकल कालेजों के प्राचार्यों को नियुक्ति के अधिकार दे दिए हैं। इसकी वजह से अब स्टाफ की कमी को तत्काल दूर किया जा सकेगा, लेकिन दुर्भाग्य यह है कि इस प्रक्रिया के बाद शासन में भेजी फाइल ही दब जाती है। ऐसे में सचिवालय स्तर के अधिकारी मंत्री के आदेश का उल्लंघन करने में नहीं हिचकिचा रहे हैं।

कालेज स्तर पर ही संविदा में 10 डाक्टरों का चयन किया गया था। हमने पूरी प्रक्रिया के बाद प्रपत्र शासन को भेज दिए थे। इनकी नियुक्ति के आदेश शासन स्तर पर ही जारी होने हैं। अभी नियुक्ति के आदेश नहीं मिले हैं।प्रो. अरुण जोशी, प्राचार्य, राजकीय मेडिकल कालेज हल्द्वानी

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