इसीलिए तो हर कोई मानता है कि धनदा है तो भरोसा है

इसीलिए तो हर कोई मानता है कि धनदा है तो भरोसा है

प्रदेश के कैबिनेट मंत्री डा धन सिंह रावत सियासत में जितने मंझे और प्रशासन में जितने सख्त कायदे कानून वाले हैं, आम जनमानस के बीच वह उतने ही नरम स्वभाव के हैं। आखिरी छोर पर खड़े व्यक्ति को आगे खींचना उनकी स्वाभाविक विशेषताओं में शुरू से ही रहा है। यही कारण है कि प्रदेश की सत्तर विधानसभाओं में उनके चाहने वालों और उनके फालोअर्स की अच्छी खासी तादाद है।

पौड़ी जनपद के कल्जीखाल में आज भाजपा कार्यकारिणी की बैठक आयोजित हुई। वहां धनदा से मुलाकात में कार्यकर्ताओं ने जिस आत्मीयता का अहसास किया वह उनके स्वभाव की श्रेष्ठता को प्रदर्शित करता है। यूं भी हर किसी कार्यक्रम में वह जनता व कार्यकर्ताओं के बीच आसानी से घुल मिल जाते हैं। यदि कहीं मंच व्यवस्थाओं में कोई परेशानी हो रही है, हर किसी को मंच पर सम्मान देना है, कहीं कुर्सियां नहीं लगी हैं, माइक से लेकर मीडिया कवरेज के व्यवधान तक व्यवस्थित कराने में भी वह पीछे नहीं रहते, उनका निस्तारण कराते हैं। कैसे व्यवस्थाएं दुरूस्थ होंगी यह भी बताते हैं ताकि सनद रहे।

वह आम जनता के साथ अन्य अतिथियों का भी पूरा ध्यान रखते हैं। ताकि किसी भी स्तर पर ऐसा ना हो कि किसी को ठेस लग जाए। आदतन वह उन मंचों पर भी व्यवस्थाएं व्यवस्थित कराने में गुरेज नहीं करते जहां वह स्वयं की चीफ गेस्ट की भूमिका में होते हैं।

ऐसे कई मौके रहे जब भोजन के समय धनदा मेहमानों की तरह खाने की सजी टेबिल पर बैठने की बजाए स्वयं ही खाना बांटने में सहयोग करते हैं। तब उनका जुड़ाव आम जन मानस, आम कार्यकर्ता और यहां तक कि सिस्टम के लश्कर से भी आत्मीयता का हो जाता है। कल्जीखाल में आयोजित कार्यकारिणी की बैठक में भोजन के दौरान कैबिनेट मंत्री डा धन सिंह रावत स्वयं ही खाना सर्व करने लगे। कैबिनेट मंत्री का भोजन वितरण में सहयोग करते देख उनके प्रति सम्मान का भाव और अधिक बढ़ जाता है। हर छोटा बड़ा आदमी उनमें स्वयं को तलाशता है। जाहिर तौर पर किसी भी नेता का आम जन का बनने के लिए जरूरी है उसका आम जन का होना।
इसलिए तो कहा जाता है कि एड़ियां उठाने को किरदार उंचे नहीं होते, उसके लिए धनदा सरीखा समर्पण, आत्मीय भाव, ईमानदारी व कमर्ठता का होना जरूरी है। और यही खूबियां उनकी लोकप्रियता को उचाइयां प्रदान करती हैं।

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