चौंकाने वाले हो सकते हैं अल्मोड़ा सीट के परिणाम

चौंकाने वाले हो सकते हैं अल्मोड़ा सीट के परिणाम

अल्मोड़ा : विधानसभा सीट पर इस बार सीधा मुकाबला भले ही भाजपा-कांग्रेस में नजर आ रहा हो, मगर आप व निर्दलीय भी मजबूती से जुटे हैं। ऐसे में संभव है कि परिणाम भी रोचक रहें। अल्मोड़ा से भाजपा के कैलाश शर्मा, कांग्रेस से मनोज तिवारी, आप के अमित जोशी और निर्दलीय विनय किरौला सहित कुल 9 प्रत्याशी मैदान में है।

सीट का इतिहास देखें तो अब तक दो बार भाजपा व दो बार कांग्रेस के प्रत्याशी को जनमत मिला है। इस बार आम आदमी पार्टी के अमित जोशी और निर्दलीय विनय किरौला ने भी उपस्थिति दर्ज कराई है। हालांकि अब तक यहां जनता राष्ट्रीय दलों को ही महत्व देती रही है लेकिन इन दोनों की मौजूदगी मुकाबले को रोचक बना रही है।

2017 में सीधा मुकाबला भाजपा व कांग्रेस प्रत्याशी के बीच रहा। भाजपा के रघुनाथ चौहान को 26464 व कांग्रेस के मनोज तिवारी को 21085 मत मिले। चौहान ने जीत दर्ज की लेकिन इस बार पार्टी ने शर्मा पर दांव लगाया है। तब 11 अन्य प्रत्याशी तीन अंकों से आगे नही बढ़ पाए।

भाजपा प्रत्याशी की ताकत

– लगातार सक्रियता के कारण मजबूत पकड़

– भाजपा संगठन के मजबूत होने का फायदा

– युवाओं में अच्छी पैठ, पार्टी व विधायक के विकास कार्य

कमजोरी

– भाजपा में अंदरखाने बगावत

– चुनाव नहीं लडऩे से जनता के बीच कम उपस्थिति

– टिकट वितरण के बाद उपजी नाराजगी का असर

कांग्रेस प्रत्याशी की ताकत

– सरल स्वभाव व जनता के बीच पकड़

– पार्टी में किसी प्रकार की गुटबाजी नहीं

– लगातार पांचवी बार चुनाव लडऩे से हर क्षेत्र में मजबूत पकड़

कमजोरी

– विधायक नहीं रहने के दौरान क्षेत्र में कम सक्रिय

– ऐसा कोई बड़ा काम नहीं जिसको लेकर जनता के बीच जाएं

– संगठन भी विपक्षी दल के अपेक्षा कमजोर

आप प्रत्याशी की ताकत

– पिछले कुछ समय से जनमुद्दों को लेकर सक्रिय

– स्वास्थ्य, पानी के मुद्दों को उठाया

-आंदोलन और धरना प्रदर्शन से लोकप्रियता बढ़ी

कमजोरी

– संसाधनयुक्त राष्ट्रीय पार्टियों से मुकाबला

– पार्टी कैडर तैयार नहीं

– अनुभव की कमी

निर्दलीय प्रत्याशी की ताकत

– अल्मोड़ा को हैरिटेज सिटी बनाने के लिए संघर्ष

– लगातार लोगों के बीच सक्रिय

– पानी, बिजली, सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा आदि के लिए जनसंघर्ष

कमजोरी

– संसाधनयुक्त राष्ट्रीय पार्टियों से मुकाबला

– निर्दल होने से सभी जिम्मा अकेले पर ही

– हर क्षेत्र में पकड़ नहीं

उत्तराखंड