उत्तराखंड की प्रसिद्ध बूंखाल कालिका देवी, में लगने वाला मेले की तिथि मंदिर समिति की बैठक में तय कर दी गई है। 2 दिसंबर को मेले की तिथि तय हुई है। इससे राठ क्षेत्र समेत देवी असंख्य भक्तजन उल्लासित हैं।
पौड़ी जिले के थलीसैंण विकासखंड के अंतर्गत कन्डारस्यू पट्टी के बूंखाल में माँ काली का प्रसिद्ध मंदिर स्थित है। माँ काली पौड़ी के राठ क्षेत्रवासियों की आराध्य देवी है। इस मंदिर का कोई प्रमाणिक इतिहास भले ही उपलब्ध ना हो, लेकिन बड़े बुजुर्गों के अनुसार इस मंदिर का निर्माण 18 वी शताब्दी में हुआ है।
इस वर्ष 2 दिसम्बर को बूंखाल कालिका मेला होना सुनिश्चित हुआ है। मेला सीमित के अध्यक्ष गजेंद्र सिंह व सचिव विनोद गोदियाल ने बताया कि इस वर्ष मां कालिका के मंदिर में 2 दिसंबर को भव्य मेला का आयोजन करना सुनिश्चित हुआ है। उन्होंने बताया कि समिति द्वारा मेले को शांति पूर्वक का व भव्य रूप से संपन्न करवाने हेतु तैयारियां शुरू कर दी गई है।
मेले में लोकगायक प्रीतम भर्त्वाण अपनी प्रस्तुतियां देंगे। वहीं स्थानीय विधायक और प्रदेश के कैबिनेट मंत्री डॉ धन सिंह रावत मेले का शुभारंभ करेंगे। उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी हजारों की संख्या में भक्ति मां की दर्शन करने के लिए मंदिर परिसर में पहुंचेंगे।
बता दें कि पूर्व में बूंखाल मेला कई सालों तक पशुबलि के लिए चर्चित रहा। समय के साथ समाज में आए बदलाव का नतीजा रहा कि 2014 में पशुबलि की जगह सात्विक पूजा ने ले ली। तबसे यहां डोली यात्रा, कलश यात्रा और भव्य पूजन अर्चना इस मेले की पहचान बन गई है।
मेले से पूर्व मंदिर के पुजारी बूंखाल की खाड़ में बिंदी चढ़ाकर काली चक्र बनाते हैं। स्थानीय रीति रिवाजों के अनुसार मेले में 3 या 5 दिन पूर्व से कालिंका माता का मंडाण शुरू हो जाता है।
हजारों की तादाद में लोग मेले के अवसर पर अपनी आराध्य देवी के दर्शनों के लिए आते हैं। आयोजन को लेकर लोगों का उत्साह देखते ही बनता है।