राज्य में सहकारी बैंकों के कामकाज में सुधार लाने पर जोर

सहकारिता मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने राज्य में सहकारी बैंकों के कामकाज में सुधार लाने के महत्व पर जोर दिया है। उन्होंने सभी मुख्य विकास अधिकारियों (प्रशासकों) से अपने-अपने बैंकों की कार्यकुशलता बढ़ाने के लिए प्रतिदिन समय आवंटित करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही, डॉ. रावत ने इन बैंकों में गैर-निष्पादित आस्तियों (एनपीए) को कम करने के लिए प्रशासकों और महाप्रबंधकों (जीएम) से ठोस प्रयास करने का आह्वान किया है।

श्रीनगर गढ़वाल से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए रजिस्ट्रार को-ऑपरेटिव, सभी मुख्य विकास अधिकारी , सभी महाप्रबंधक व शीर्ष बैंक अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक के दौरान, डॉ. रावत ने 20 सबसे बड़े बकाया पर ध्यान केंद्रित करते हुए तेजी से वसूली अभियान शुरू करने की आवश्यकता पर जोर दिया। इस लक्षित दृष्टिकोण का उद्देश्य एनपीए के मुद्दे को संबोधित करना और राज्य में सहकारी बैंकों की वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करना है।

डॉ. रावत ने को-ऑपरेटिव बैंकों के संचालन को बढ़ाने के लिए प्रौद्योगिकी को अपनाने के महत्व पर प्रकाश डाला है। उन्होंने इन बैंकों में नेट बैंकिंग और मोबाइल बैंकिंग सेवाओं को बेहतर बनाने पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता पर बल दिया है। प्रौद्योगिकी का लाभ उठाकर, बैंक प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित कर सकते हैं, ग्राहक अनुभव को बढ़ा सकते हैं और समग्र दक्षता में सुधार कर सकते हैं।

समीक्षा बैठक में सहकारिता मंत्री डॉ रावत ने हर जिले मुख्य विकास अधिकारी( प्रशासक)
से बैंकों को विकास पर ध्यान केंद्रित करने का निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि केंद्रीय सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह चाहते हैं कि ज्यादा ज्यादा सरकारी खाते कोऑपरेटिव बैंकों में खुले। इसी दिशा में सीडीओ और बैंकों के अफसरों को काम करना है।

मंत्री डॉ रावत ने सहकारी समितियों , बैंकों के संचालक मंडल में 33% आरक्षण महिलाओं जो दिया गया है वह ऐतिहासिक कार्य है। निर्देश दिए कि, हर सहकारी समिति , हर को-ऑपरेटिव बैंक ब्रांच में इस कार्य का होर्डिंग्स लगा कर प्रचार- प्रसार किया जाय।

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