ऋषिकेश: परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानदं सरस्वती और उपभोक्ता मामले, खाद्य व सार्वजनिक वितरण, जलवायु, पर्यावरण और वन राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे की दिल्ली कार्यालय में भेंटवार्ता हुई। दोनों के बीच बाघों के संरक्षण, वन एवं वन्यप्राणियों के संरक्षण के साथ अनेक समसामयिक विषयों पर चर्चा हुई।
वैश्विक बाघ दिवस के अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि औद्योगीकरण और शहरों के विस्तार के कारण जंगल छोटे होते जा रहे हैं। जिसके कारण जंगल में रहने वाले प्राणियों का वास सिकुड़ता जा रहा है। ऐसे में यह ध्यान देने की जरूरत है कि हम बाघों और अन्य प्राणियों के प्राकृतिक आवासों की रक्षा के लिए अपने आप को समर्पित करें।
स्वामी चिदानंद ने कहा कि आज का दिन हमें बाघ संरक्षण, वन्यप्राणियों के मुद्दों का समर्थन करने, पौधारोपण के प्रति जागरुकता बढ़ाने के लिए प्रेरित करता है। वर्तमान समय में दुनिया भर में बाघों और सभी वन्य प्राणियों के सामने कई तरह की समस्याएं हैं। हमारे व्यवहार और विकास के कारण बाघों सहित अनेक वन्य प्राणी विलुप्त होने के करीब पहुंच रहे हैं। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारी तरह हमारे पेड़-पौधे और वन्यजीवन भी समृद्ध और सुरक्षित रहें, इस ओर हमें अपनी पूरी कोशिश करनी होगी।
स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि आजकल बाघों सहित अन्य वन्य प्राणियों का अवैध शिकार, जीवन संघर्ष और आवास को खतरा हो गया है। जलवायु पर्यावरण और वन राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने कहा कि उपरोक्त विषयों पर गंभीरता से विचार-विमर्श किया जाएगा। कटते जंगल और घटती बाघों की संख्या ने सभी का ध्यान आकर्षित किया है, वन्य प्राणियों की संख्या में हो रही कमी को रोकने के लिए पूरा प्रयास किया जाएगा।