हल्द्वानी : कार्बेट के ढिकाला जोन से फतेहपुर में हमलावर बाघ को तलाशने के लिए लाई गई आशा और गोमती हथिनी मंगलवार सुबह छह बजे से रेस्क्यू अभियान में शामिल हो गई। फतेहपुर रेंज के चिन्हित जंगल में इनकी मदद से बाघ को ढूंढने की कोशिश जाएगी। नजर आने पर हथिनी के ऊपर बैठे वन्यजीव चिकित्सक ट्रैंकुलाइल गन का इस्तेमाल करेंगे।
दूसरी टीम बाघ के बेहोश होने पर पिंजरे में डाल उसे तुरंत जंगल से बाहर ले जाएगी। सफलता मिलने पर हमलावर बाघ को रानीबाग रेस्क्यू सेंटर में लाया जाएगा। हथिनियों संग जंगल में गश्त की तैयारियां सोमवार को ही पूरी कर ली गई थी।
जनवरी और फरवरी में फतेहपुर रेंज से सटे जंगल में दो महिलाओं और एक पुरुष को बाघ ने मौत के घाट उतारा था। इसमेें ब्यूराखाम के टंगर निवासी नंदी सनवाल, बजूनिया हल्दू निवासी नत्थूलाल और पनियाली निवासी जानकी देवी शामिल थी। लगातार तीन घटनाओं के बाद लोगों का आक्रोश काफी बढ़ गया। जिस वजह से वन विभाग ने बाघ की तलाश शुरू कर दी। ताकि टैंकुलाइज किया जा सके। लेकिन कोई सफलता नहीं मिली।
इस काम मेंं वनकर्मियों और चिकित्सकों के लिए भी काफी खतरा था। क्योंकि, आंखों से ओझल बाघ अगर आसपास हो तो वह हमला भी कर सकता है।
टीम की सुरक्षा और सघन सर्च आपरेशन के लिए कार्बेट प्रशासन से हाथी की मांग की गई थी। जिसके बाद चार दिन का पैदल सफर कर रविवार दोपहर आशा व गोमती नाम की महिला फतेहपुर रेंज परिसर पहुंच गए। जहां सोमवार को पूरा दिन दोनों ने विश्राम किया।
जबकि टीम ने जंगल में जाकर चिन्हित क्षेत्र का निरीक्षण किया। फौरी तौर पर एक रूट चयनित किया गया। जहां आशा व गोमती को घुमाया जाएगा। रेंजर केएल आर्य ने बताया कि मंगलवार सुबह से दोनों बाघ को तलाशने में जुट गई।

