फतेहपुर रेंज में घूम रहे आदमखोर बाघ लगातार चकमा दे रहे हैं। ये बाघ ट्रैंकुलाइज गन की रेंज में ही नहीं आ रहे हैं, जिससे वन कर्मियों की परेशानियां बढ़ गई हैं। करीब 20 दिनों से जामनगर की टीम मचानों पर जमी हुई है। रेंज में लगे 85 कैमरा ट्रैप में लगातार आदमखोर बाघ दिख रहे हैं।
फतेहपुर रेंज में लंबे समय से सब कुछ आश्चर्यजनक हो रहा है। विशेषज्ञों व आज तक की रिसर्च के अनुसार एक बाघ का क्षेत्र 20 से 60 किमी का होता है, लेकिन फतेहपुर रेंज के 20 किमी के दायरे में 4 बाघ दिख रहे हैं। इसमें से एक बाघ और बाघिन आदमखोर हैं। इनको पकड़ने के लिए 5 अप्रैल को जामनगर गुजरात से टीम पहुंची है।
यह टीम 10 अप्रैल से दमुवाढूंगा क्षेत्र में लगे चार और पनियाली में लगे 1 मचान पर रात को ट्रैंकुलाइज गन लेकर बैठ रही है। बाघ है कि कैमरा ट्रैप में रोज दिख रहा है, कभी जंगल में उसकी झलक भी दिख रही है, लेकिन ट्रैंकुलाइन गन की रेंज जो करीब 50 से 60 मीटर होती है, में नहीं आ रहा है। हैरानी की बात यह है कि आदमखोर होने के बाद भी बाघ आबादी की तरफ नहीं आ रहा है।
जंगल की आग ने बढ़ाई चिंता
फतेहपुर रेंज वनाग्नि की दृष्टि से काफी संवेदनशील है। इसकी वजह रेंज में ज्यादातर पर्वतीय क्षेत्र का होना है। पर्वतीय क्षेत्र के जंगलों में एक बार आग लगती है तो वह खुद ही बुझती है। बीच में रेंज में आग की कई घटनाएं हुई हैं। आग के चलते बाघ के रेंज से बाहर निकल जाने की चिंता भी अधिकारी-कर्मचारियों को सता रही है।
बाघ कैमरा ट्रैप में रोज दिख रहे हैं, लेकिन वे कभी भी ट्रैंकुलाइज गन की रेंज में नहीं आ रहे हैं। कोशिश है जल्द बाघों को पकड़ कर उनकी जांच की जाए और लोगों की परेशानियों को कम किया जाए।
केआर आर्या, रेंजर, फतेहपुर रेंज

