देहरादन। राजपुर रोड देहरादून जिले की ऐसी विधानसभा सीट है, जहां कोई विशेष चेहरा या दल मतदाताओं को लगातार प्रभावित नहीं कर पाया। अब तक हुए दो विधानसभा चुनावों में मतदाताओं ने एक बार भाजपा तो एक बार कांग्रेस प्रत्याशी को विधानसभा भेजा। यानी कि सीधी टक्कर भाजपा-कांग्रेस के ही बीच रही। इस बार भी यही स्थिति है। हालांकि, यहां पहली बार चुनावी समर में उतरी आम आदमी पार्टी भाजपा-कांग्रेस के पारंपरिक वोट बैंक में घुसपैठ का प्रयास कर रही है। इससे मुकाबला रोचक होने की उम्मीद जगी है।]
राजपुर रोड सीट में एक तरफ राजपुर रोड का पाश एरिया शामिल है तो दूसरी तरफ 17 मलिन बस्तियां। अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित यह सीट 2008 के परिसीमन से अस्तित्व में आई। इसके बाद 2012 के चुनाव में जनता ने कांग्रेस प्रत्याशी राजकुमार को विधायक चुना। 2017 में धनोल्टी सीट छोड़कर खजान दास ने यहां से जीत दर्ज की। इससे पहले यह सीट राजपुर नाम से जानी जाती थी। तब 2002 में यहां कांग्रेस प्रत्याशी हीरा सिंह बिष्ट जीते थे, जबकि 2007 में भाजपा के गणेश जोशी ने बाजी मारी।
1.19 लाख मतदाता वाली इस सीट पर कुल नौ प्रत्याशी चुनावी समर में ताल ठोक रहे हैं। भाजपा ने सिटिंग विधायक खजान दास को मैदान में उतारा है, जबकि कांग्रेस ने फिर से राजकुमार पर विश्वास जताया है। भाजपा-कांग्रेस के वोट बैंक में आप प्रत्याशी डिंपल सिंह समेत चुनावी समर में उतरे अन्य महारथी सेंधमारी का प्रयास कर मुकाबला रोचक बनाने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे में दोनों पार्टियों के समक्ष मतदाताओं को अपने पाले में बनाए रखने की चुनौती है।
सामाजिक समीकरण की बात करें तो यहां मिश्रित आबादी निवास करती है। हिंदू बहुसंख्यक इस सीट पर मुसलमान और पर्वतीय मूल के मतदाताओं की भी अच्छी संख्या है। व्यापारी मतदाता भी यहां बड़ी संख्या में हैं, जो समीकरण बना-बिगाड़ सकते हैं।
खजान दास
ताकत
-ईमानदार छवि, जनता से जुड़ाव
-संगठन का पूर्ण सहयोग
कमजोरी
-क्षेत्र में अपेक्षाकृत योजनाएं नहीं ला सके
-मलिन बस्तियों में मजबूत पकड़ नहीं
राजकुमार
ताकत
-मलिन बस्तियों में अच्छी पैठ
-कैडर वोट के साथ मुस्लिम मतदाताओं में भी पकड़
कमजोरी
-पर्वतीय वोटर पर अच्छी पकड़ नहीं
-पाश इलाकों में नहीं है खास संपर्क
कुल मतदाता : 1,19,301
पुरुष : 62,482
महिला : 56,807
थर्ड जेंडर : 12
80 वर्ष से अधिक : 3450