छठ के बाद अब इगास पर राजकीय अवकाश का एलान, क्यों खास है यह त्योहार

छठ के बाद अब इगास पर राजकीय अवकाश का एलान, क्यों खास है यह त्योहार

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 14 नवंबर इगास (बूढ़ी दिवाली) पर राजकीय अवकाश की घोषणा की है। उन्होंने सोशल मीडिया पर भी इगास की छुट्टी का संदेश साझा किया। 

बलूनी ने जताया आभार
राज्यसभा सांसद व भाजपा के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी सांसद अनिल बलूनी ने इगास पर छुट्टी घोषित करने पर मुख्यमंत्री धामी का आभार व्यक्त किया है। बलूनी पिछले कुछ वर्षों से गांवों में जाकर इगास (बूढ़ी दिवाली) मनाने की मुहिम चला रहे हैं। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, ‘मित्रों मैं इगास (बुड़ दिवाली) पर अपने गांव जाकर उत्सव मनाने वाला हूं। आप सबसे आग्रह है कि आप भी अपने गांव जाकर इगास बूढ़ी दिवाली मनाएं।’

भट्ट ने बताया बढ़ा फैसला
केंद्रीय रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट ने कहा कि इगास (बूढ़ी दिवाली) पर सार्वजनिक अवकाश की घोषणा पर मैं सरकार को हृदय से बधाई देता हूं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का आभार कि उन्होंने यह बड़ा फैसला लिया। कहा कि हम लोग बूढ़ी दिवाली मनाते हैं, लेकिन नई पीढ़ी कहीं न कहीं भूलती जा रही थी। आज फिर संस्कृति से जुड़ने का हमें मौका मिला है। मैं स्वयं उत्तराखंड के किसी न किसी क्षेत्र में रहकर धूमधाम से बूढ़ी दिवाली मनाऊंगा।

14 नवंबर को है रविवार
मुख्यमंत्री इगास (बूढ़ी दिवाली) पर्व पर सार्वजनिक अवकाश की घोषणा की है। उस दिन रविवार है। हालांकि सोमवार एक बजे तक इगास पर्व मनाया जाएगा। मुख्यमंत्री सचिवालय ने सामान्य प्रशासन विभाग को अवकाश का आदेश जारी करने के निर्देश दे दिए हैं।

यह है मान्यता
दिवाली के 11 दिन बाद पहाड़ में एक ओर दिवाली मनाई जाती है, जिसे इगास कहा जाता है। इस दिन सुबह मीठे पकवान बनाए जाते हैं और शाम को भैलो जलाकर देवी-देवताओं की पूजा की जाती है। पूजा-अर्चना के बाद ढोल-दमाऊं की थाप पर भैलो (भीमल या चीड़ की लकड़ी का गट्ठर) जलाकर घुमाया जाता है और नृत्य किया जाता है।

मान्यता है कि भगवान राम के लकां विजय कर अयोध्या पहुंचने की सूचना पहाड़ में 11 दिन बाद मिली थी। इसीलिए दिवाली के 11 दिन बाद इगास (बूढ़ी दिवाली) मनाया जाता है।

अन्य खबर