पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट ‘जल जीवन मिशन’ पर महंगाई की मार, पाइप के दाम 40 प्रतिशत तक महंगे

पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट ‘जल जीवन मिशन’ पर महंगाई की मार, पाइप के दाम 40 प्रतिशत तक महंगे

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट ‘जल जीवन मिशन’ पर भी महंगाई की मार पड़ गई है। छह महीने में पाइप 40 प्रतिशत तक महंगे हो गए हैं। साथ ही अन्य सामान के दामों में भी इजाफा हो गया है। इससे ठेकेदारों ने न सिर्फ निर्माणाधीन योजनाओं का काम बंद कर दिया है बल्कि नए टेंडरों में भी भाग लेने से भी इनकार कर दिया है। 

केंद्र के अहम प्रोजेक्ट जल जीवन मिशन के तहत राज्य में हर घर तक नल से जल पहुंचाया जाना है। इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए अभी तक युद्धस्तर पर काम चल रहा था। इसके तहत करीब 3600 छोटी-बड़ी जल योजनाओं पर काम हो रहा था। इस बीच महंगाई की मार पड़ने के बाद ठेकेदारों ने इनमें से करीब 1800 योजनाओं पर काम बंद कर दिया है।

इसके अलावा 200 जिन नई योजनाओं के टेंडर होने हैं, उनमें भी ठेकेदार कोई रुचि नहीं दिखा रहे। जल निगम में ठेकेदार अभी तक वर्ष 2019 के तय शिड्यूल ऑफ रेट के अनुसार काम कर रहे थे। सितंबर 2021 तक तो स्थिति ठीक चलती रही पर इसके बाद पेयजल योजनाओं में इस्तेमाल होने वाले सामान के रेट लगातार बढ़ते चले गए।

इसके बाद ठेकेदारों ने काम से हाथ खड़े करने शुरू कर दिए। एक के बाद एक पूरे प्रदेश में योजनाओं पर काम बंद होना शुरू हो गया। प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट ‘जल जीवन मिशन’ की योजनाओं पर होने वाले काम का अधिकतर हिस्सा पाइप बिछाने का ही है। दाम बढ़ने से काम ठप हो गया है।

साढ़े छह लाख घरों तक पहुंचाने हैं पानी के कनेक्शन
राज्य में 1565849 घरों में पानी के कनेक्शन पहुंचाए जाने थे। 913249 घरों तक कनेक्शन पहुंचाए जा चुके हैं। अब भी 652600 घरों में कनेक्शन पहुंचाए जाने हैं। ये लक्ष्य दिसंबर 2022 तक पूरा होना था पर अब इसके लिए दिसंबर 2023 की डेडलाइन तय की गई है।

रेट बढ़ाने की तैयारी कमेटी का गठन
ठेकेदारों की ओर से पुराने रेट पर काम न करने का मामला केंद्र स्तर तक पहुंच चुका है। केंद्र, इस मामले में राज्यों को अपने स्तर पर निर्णय लेने की छूट दे चुका है। उत्तराखंड में रेट बढ़ाने की तैयारी की जा रही है। इसके लिए समिति का गठन किया गया है। रेट को लेकर समिति का प्रस्ताव कैबिनेट बैठक में रखा जाएगा।

जीआई पाइप के रेट अप्रत्याशित रूप से बढ़े हैं। जल जीवन मिशन में अधिकतर पाइप ही बिछाया जाना है। इसके चलते ठेकेदार पुरानी दर पर काम करने को तैयार नहीं हैं, जिससे योजना प्रभावित हो रही है। इसे देखते हुए दर संशोधित करने की तैयारी है। 
नितेश झा, सचिव पेयजल 

उत्तराखंड