बीते पांच सालों में उत्तराखंड में बढ़े सड़क हादसे, 4500 लोगों की गई जान

बीते पांच सालों में उत्तराखंड में बढ़े सड़क हादसे, 4500 लोगों की गई जान

नैनीताल : उत्तराखंड में पिछले पांच सालों में सड़क हादसों के साथ मौतों का भी ग्राफ बढ़ा है। जनवरी 2017 से फरवरी 2022 तक उत्तराखंड में सड़क हादसों में करीब 4500 लोगों की जान चली गई। वहीं 2012 से 2016 की बात करें तो करीब 4200 लोगों की हादसों में मौत हुई थी। यानी पिछले पांच साल में सड़क हादसों में मृतकों का आंकाड़ा बढ़ा है। हादसे ओरलोडिंग, बेतरतीब ड्राइविंग, ड्रंक ड्राइविंग आैर डैंजर जोन में गाड़ी चलाने के हुए हैं।

2021 में सर्वाधिक मौतें ऊधमसिंहनगर में

बीते साल 2021 में 361 सड़क हादसों में सर्वाधिक 230 मौतें ऊधमसिंहनगर जिले में दर्ज की गई हैं। दूसरे स्थान पर हरिद्वार जिला है। जिले में 354 हादसों में 220 लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। जबकि राजधानी देहरादून में 365 सड़क हादसों में 165 लोगों की जान गई है।

2018 में दस साल में सर्वाधिक हादसे

बीते दस सालों में सर्वाधिक सड़क 2018 में हुए। इस साल कुल दर्ज हुए 1468 हादसों में 1047 लोगों की मौत हो गई। 2016 में 1603 हादसों में 942 लोगों की मौत, 2019 में 1352 हादसों में 867 लोगों की मौत और 2021 में 1405 हादसों में 820 लोगों ने अपनी जान गंवाई थी।

इस साल दो माह में 131 लोगों की मौत

इस साल जनवरी फरवरी में अब तक उत्तराखंड में 205 सड़क हादसों में 131 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 192 लोग घायल हुए हैं। फरवरी में चंपावत में पिकअप के खाई में गिरने से 14 लोगों की मौत हुई है, जो इस साल अब तक का सबसे बड़ा हादसा है। बताया जा रहा है कि हादसा उस मार्ग पर हुआ, जहां वाहनों का संचालन प्रतिबंधित था।

डैंजर जोन में हुए सर्वाधिक हादसे

उत्तराखंड सर्वाधिक हादसे या तो वाहनों के लिए प्रतिबंधित मार्गों पर हुए या फिर डैंजर जोन में। उत्तराखंड पुलिस के मुताबिक डैंजर जोन में साइन बोर्ड को अनदेखा कर चालकों ने वाहनों को दौड़ाया, इस कारण अधिक हादसे हुए। बता दें कि पिथौरागढ़ में 59 डैंजर जोन, जबकि दो दर्जन से अधिक डैंजर जोन उत्तरकाशी में हैं। बीते पांच सालों में सर्वाधिक सड़क हादसे और मौतें गंगोत्री-यमुनोत्री हाईवे पर दर्ज की गई हैं।

हिमाचल और जम्मू में हादसों की स्थिति

उत्तराखंड की तरह ही पर्वतीय राज्य हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में भी सड़क हादसों में हजारों लोगों की जान गई है। हिमाचल में 2018 से 2020 के बीच में 4410 लोगों की मौत हो गई वहीं जम्मू-कश्मीर में इसी अवधि में 2708 लोगों को हादसों में अपनी जान से हाथ धोना पड़ा।

डीजीपी ने कही ये बात

डीजीपी अशोक कुमार ने बताया कि प्रदेश में ज्यादातर हादसे डैंजर जोन या फिर संकरे मार्गों पर हुए हैं। ऐसे मार्गों पर आवागमन को लेकर साइनबोर्ड लगे हुए हैं। हम पीडब्ल्यूडी से इन मार्गों को बेहतर बनाने की मांग करने के साथ ही हादसों को रोकने के लिए अन्य एहतियातन कदम उठाएंगे।

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