चार बार बाघ दिखा पर दूरी के चलते नहीं किया जा सका ट्रैंकुलाइज, गन की क्षमता 50 फीट बाघ था 200 फीट दूर

चार बार बाघ दिखा पर दूरी के चलते नहीं किया जा सका ट्रैंकुलाइज, गन की क्षमता 50 फीट बाघ था 200 फीट दूर

हल्द्वानी: फतेहपुर रेंज के जंगल में बाघ की तलाश फरवरी से चल रही है। गुजरात के जामनगर की टीम के लौटने के बाद वन विभाग का हाथियों पर खासा फोकस है। इन पर बैठकर ही टीम जंगल में बाघ को तलाशने जाती है। चार बार फतेहपुर रेंज के जंगल में बाघ नजर भी आया। लेकिन वह 150 से 200 फीट दूर था। जबकि ट्रैंकुलाइज गन की मारक क्षमता 50 फीट है।

ऐसे में चाहकर भी टीम ट्रैंकुलाइज गन से बेहोशी की डाट नहीं छोड़ सकी। रेंजर केएल आर्य ने बताया कि प्रयास किया जा रहा है कि जंगल में अंदर तक जाकर बाघ को तलाशा जाए। कार्बेट से आए दो हाथी शिवगंगे और गजराज पहाड़ी क्षेत्र में भी पहुंच रहे हैं। 29 दिसंबर से रामनगर डिवीजन की फतेहपुर रेंज में बाघ के हमले शुरू हुए थे।

31 मार्च तक छह लोगों की जान चली गई थी। लोगों के आक्रोश और दबाव को देखते हुए वन विभाग ने 23 फरवरी से बड़ा अभियान शुरू किया था। जिसमें कार्बेट, नैनीताल चिडिय़ाघर और वेस्टर्न सर्किल के चिकित्सक भी जुटाए। इसके बाद कार्बेट से हाथी भी पहुंचे।

वहीं, अप्रैल में गुजरात के जामनगर से तीस सदस्यीय टीम भी फतेहपुर रेंज में आई थी। एक महीने तक इन लोगों ने जंगल में बाघ को तलाशने का काम किया। लेकिन ट्रैंकुलाइज नहीं किया जा सका। वहीं, रेंजर केएल आर्य ने बताया कि हाल के दिनों में हाथी से गश्त के दौरान चार बार बाघ दिखा भी। लेकिन दूरी ज्यादा होने के कारण टीम ने ट्रैंकुलाइज गन नहीं चलाई। क्योंकि, डाट लगने की स्थिति में भी असर नहीं होता। और पास जाने पर बाघ ओझल हो गया।

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