भेष बदलकर अस्तपाल पहुंचे स्वास्थ्य मंत्री, 4 दिन बीत जाने पर भी अस्पताल प्रसाशन को नही कोई खबर

भेष बदलकर अस्तपाल पहुंचे स्वास्थ्य मंत्री, 4 दिन बीत जाने पर भी अस्पताल प्रसाशन को नही कोई खबर

देहरादून। बहुत वर्षों बाद वह परंपरा वापस होती दिखाई दे रही है जो एक राज्य के संचालन के लिए सबसे जरूरी हुआ करती है और वो है सरकार द्वारा समस्याओं का मौके पर ही मुआयना करना वह भी गोपनीय रूप से मुँह पर मास्क लगाए ट्रैकसूट डाले आम आदमी बनकर सूबे के स्वास्थ्य मंत्री डॉ धन सिंह रावत हल्द्वानी के मेडिकल कॉलेज और बेस अस्पताल गए और वहाँ की सारी व्यवस्थाओ का जायज़ा ले कर आ भी गए और मजे की बात यह है कि आज 4 दिन बीत जाने पर भी अस्पताल प्रसाशन को कोई खबर नही इस दौरान उन्होंने कई लोगों से बातचीत भी की।

पिछले 4 दिन पूर्व सूबे के मंत्री डॉ धन सिंह रावत देहरादून से हल्द्वानी एक प्राइवेट गाड़ी से गये रात 9 बजे वे सीधे मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी पहुंचे और अस्पताल में जाकर पहचान छुपाकर वहां लाइन में लगकर न केवल पर्ची कटवाई, मरीजों के बीच लाइन में आधे घंटे बैठे रहे। उन्होंने मरीजों से उनकी ही भाषा में बात कर व्यवस्थाओं की असलियत जानने की कोशिश भी की। बोले की मेरी तबीयत खराब है मुझे बुखार है उस समय वहाँ कोई डॉक्टर नही था वहाँ बैठे अटेंडेंट ने बताया कि डॉक्टर साहब इस नंबर के रूम में गये तो कैबिनेट मंत्री उसी कमरे में चले गए तो वहाँ कोई डॉक्टर नही था डॉ रावत ने वहाँ एडमिट हुए मरीजो से पूछा डॉक्टर साहब कितनी देर पहले निकले तो मरीजो ने बताया कि सुबह से कोई डॉक्टर हमारे रूम में आया ही नही वहाँ से फिर डॉ रावत अटेंडेंट के पास गए और बोले वहां डॉ नही है तो फिर अटेंडेंट ने दूसरे वार्ड में भेजा वहाँ भी डॉक्टर नही मिला इस तरह स्वास्थ्य मंत्री 8 अलग अलग वार्ड में गये मगर हर जगह डॉ साहब नदारद रहे फिर डॉ धन सिंह रावत ने अटेंडेंट को बोले आप ही मुझे देख दो और दवाई दे दो तो अटेंडेंट बोला में दवाई बता देता हूं बहार जाकर उस दुकान से ले लेना जिस दुकान का में नाम बताऊगा हमारे पास दवाई नही है डॉ रावत ने कहा मेरे पास पैसे नही है तो अटेंडेंट बोला इसमें में कुछ नही कर सकता।

जब स्वास्थ्य मंत्री एक वार्ड में गये तो वह वार्ड खाली था उस वार्ड में एक अस्पताल का अटेंडेंट शराब पीकर लेटा हुआ था और पुरे वार्ड के किसी भी बेड पर चादर नही थी डॉ रावत मेडिकल कॉलेज में पूरे 40 मिनट रहे और बेस हॉस्पिटल में लगभग 22 मिनट रहे और इस प्रकार के अव्यवस्था उन्हें बेस हॉस्पिटल में भी देखने को मिली।

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