देहरादून। उत्तराखंड में राज्यपाल बदले जाने के मामले में सियासत तेज हो गई है। कांग्रेस ने राज्यपाल पद से बेबी रानी मौर्य की विदाई को भ्रष्टाचार और जातीय सियासत से जोड़कर केंद्र सरकार और भाजपा पर तीखा हमला बोला है। पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत ने कहा कि सरकार के भ्रष्टाचार को उजागर करने की कीमत राज्यपाल को चुकानी पड़ी है।
प्रदेश में विधानसभा चुनाव करीब हैं। ऐसे में कांग्रेस केंद्र और प्रदेश की सरकारों के साथ ही सत्तारूढ़ भाजपा को निशाने पर लेने का कोई भी मौका चूक नहीं रही है। कार्यकाल पूरा होने से पहले ही उत्तराखंड में राज्यपाल बदले जाने को लेकर कांग्रेस मुखर है। भाजपा सरकार की भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टालरेंस की नीति पर भी कांग्रेस ने निशाने पर लिया है। मीडिया से बातचीत में प्रदेश कांग्रेस चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष हरीश रावत ने राज्यपाल को हटाने के पीछे जातीय सियासत को जिम्मेदार ठहराया ही, साथ में भ्रष्टाचार को लेकर सरकार की नीयत पर सवाल दागे।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने सरकार के भ्रष्टाचार को उजागर किया है। जिन कानूनों पर उन्हें शंका थी, उन्होंने दस्तखत करने से इन्कार कर दिया। इस वजह से भाजपा ने उन्हें राज्यपाल पद से हटाया। उन्होंने कहा कि राज्यपाल ने मुक्त विश्वविद्यालय समेत कई मामलों में सरकार के भ्रष्टाचार को सामने रखा। मुक्त विश्वविद्यालयों में नियुक्तियों में गड़बड़ी की जांच करने के उनके निर्देशों की वजह से उन्हें निशाना बनाया गया है।
यही नहीं लगे हाथों उन्होंने नए राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) गुरमीत सिंह का स्वागत करने में भी देर नहीं की। सैन्य बहुल राज्य में राज्यपाल बनाए गए पूर्व सैन्य अधिकारी की तैनाती का स्वागत कर सैन्य परिवारों को साधने की रणनीति है।