पौड़ी में उत्तराखंड मानवाधिकार आयोग द्वारा मानवाधिकार संरक्षण एवं सुशासन के संवेदनीकरण पर परिवादों की सुनवाई की गई
11 वादों का मौके पर ही निस्तारण किया गया जबकि 18 वादों वादों में संबंधित विभागों को जिलाधिकारी के माध्यम से निस्तारण के निर्देश दिये गये
आज जनपद पौड़ी, टिहरी, चमोली व रूद्रप्रयाग के कुल 29 मामलों की सुनवाई की गई
आगामी 27 सितम्बर को 39 मामलों की सुनवाई की जायेगी
जनपद के विकास भवन सभागार में आज उत्तराखंड मानव अधिकार आयोग द्वारा न्यायमूर्ति बी0के0 बिष्ट मा0 अध्यक्ष, उत्तराखंड मानवाधिकार आयोग की अध्यक्षता में मानवाधिकार संरक्षण एवं सुशासन के संवेदनीकरण पर परिवादों की सुनवाई की गयी।
दिनांक 26 व 27 सितम्बर दो दिवसीय सुनवाई में आज जनपद पौड़ी, टिहरी, चमोली व रूद्रप्रयाग जनपदों के कुल 29 मामलों की सुनवाई की गयी, जिसमें से 11 का मौके पर ही निस्तारण किया गया। जबकि 18 शिकायातों को जिलाधिकारी के माध्यम से संबंधित विभागों को निराकरण हेतु निर्देशित किया गया।
आअधिशासी अभियंता निर्माण खंड लोनिवि दुगड्डा, जिलाधिकारी व वरिष्ट पुलिस अधीक्षक कार्यालय पौड़ी, चिकित्साधिकारी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रिखणीखाल, वरिष्ट पुलिस अधीक्षक पौड़ी, अधिशासी अभियंता निर्माण खंड लोनिवि बैंजरों, अधिशासी अभियंता अनुरक्षण खंड जल संस्थान पौड़ी, 12वां वृत्त लोनिवि पौड़ी, अपर निदेशक माध्यमिक शिक्षा पौड़ी , मुख्य चिकित्साधिकारी पौड़ी, जिलाधिकारी कार्यालय टिहरी गढ़वाल, लोनिवि विभाग टिहरी, वरिष्ट पुलिस अधीक्षक कार्यालय टिहरी, जिलाधिकारी कार्यालय चमोली, पुलिस अधीक्षक चमोली, अधिशासी अभियंता लोनिवि चमोली, अधिशासी अभियंता निर्माण खंड लोनिवि थराली, पुलिस अधीक्षक कार्यालय रूद्रप्रयाग और जिलाधिकारी कार्यालय रूद्रप्रयाग के कुल 29 मामलों की सुनवाई की गयी। कल दिनांक 27 सितम्बर, 2023 को कुल 39 मामलों की सुनवाई की जायेगी।
इस अवसर पर मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष ने उपस्थित अधिकारियों को निर्देशित किया कि विभिन्न प्रकार के मुआवजा प्रकरण से संबंधित मामलों में बहुत ही सतर्कता बरतने की जरूरत है। ऐसे मामलों का धरातल पर ठिक तरह से सत्यापन करके ही मुआवजा संबंधित मामलों का निस्तारण करना चाहिए ताकि इसमें किसी भी तरह का फर्जीवाड़ा ना हो पाये और सरकार को अनावश्यक रूप से वित्तीय बोझ ना पड़े।
उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में सरकार से प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से मुआवजा लेने की प्रवृत्ति बढ़ी है और इसमें लगातार वृद्वि देखी जा रही है। इसलिए ऐसे प्रकरणों में बहुत पारदर्शिता और जमीनी स्तर पर बारिकी से सत्यापन करने के पश्चात ही आगे बढ़ा जाय ताकि सरकार के वित्तीय संसाधनों का राष्ट्रहित में अधिक से अधिक सद्पयोग हो सके और सरकारों से फ्री की स्कीम लेने की होड़ पर लगाम लग सके। क्योंकि देश के संसाधनों को उन जगहों पर लगाना चाहिए जहां से राष्ट्र का और अधिक जनमानस का भला हो सके।
इस दौरान सुनवाई में उत्तराखंड मानवाधिकार आयोग के अन्य सदस्य गिरधर सिंह धर्मशक्तू और राम सिंह मीना के साथ-साथ सचिव उत्तराखंड शासन हरि चंद्र सेमवाल, जिलाधिकारी डॉ0 आशीष चौहान, वरिष्ट पुलिस अधीक्षक श्वेता चौबे, अनुसचिव उत्तराखंड मानवाधिकार आयोग रजिन्द्र सिंह झिंक्वाण सहित संबंधित अधिकारी व कार्मिक उपस्थित थे।