केदारनाथ मंदिर राष्ट्रीय धरोहर बनने जा रहा है। सरकार ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को प्रस्ताव भेज दिया है। पुरातत्व विभाग मंदिर का सर्वे कर अपनी रिपोर्ट केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय को भेजेगा। इस रिपोर्ट के बाद उत्तराखंड के किसी धाम को पहली बार राष्ट्रीय धरोहर की सूची में शामिल होने का गौरव प्राप्त होगा।
उत्तराखंड में अभी तक 43 राष्ट्रीय धरोहर हैं, लेकिन देवभूमि के विश्वविख्यात चार में से एक भी धाम इनमें शामिल नहीं है। सबसे पहले केदारनाथ मंदिर को इसमें शामिल करने की तैयारी है। वर्ष 2007 में केदरानाथ और बदरीनाथ मंदिर को राष्ट्रीय धरोहर में शामिल करने का प्रयास किया जा चुका है।
लेकिन तब दिल्ली स्थित पुरातत्व विभाग के मुख्यालय से अनुमति न मिलने के कारण यह राष्ट्रीय धरोहर में शामिल नहीं हो सके थे। इस बार शासन की ओर से स्वयं केदारनाथ मंदिर को शामिल करने का प्रस्ताव आया है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण देहरादून मंडल के प्रभारी व वरिष्ठ पुरातत्वविद मनोज कुमार सक्सेना ने बताया कि शासन की ओर से केदानाथ मंदिर को राष्ट्रीय धरोहर में शामिल करने का प्रस्ताव आ गया है। जल्द ही सर्वे कराया जाएगा।
यह होता है लाभ
-राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने के बाद विशेष सुरक्षा उपाय किए जाते हैं।
-देखरेख का जिम्मा पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को सौंप दिया जाता है।
-राष्ट्रीय धरोहर बनने के बाद केंद्र सरकार बजट जारी करती है।
-धरोहर के 100 मीटर दूरी तक निर्माण कार्य प्रतिबंधित होता है।
-200 मीटर दूर तक मरम्मत को सक्षम अधिकारी की अनुमति जरूरी।
पूजा और चढ़ावा समिति का, छेड़छाड़ पर रोक होगी
यदि केदारनाथ मंदिर को राष्ट्रीय धरोहर का दर्जा मिल जाता तो मंदिर की पूजा अर्चना की जिम्मेदारी मंदिर समिति की होगी। मंदिर में आने वाला चढ़ावा भी समिति का ही होगा। मंदिर में किसी भी तरह के निर्माण कार्य पर रोक होगी।
पुराना सर्वे नहीं आएगा काम
2003 से लेकर 2007 तक केदारनाथ का पुरातत्व विभाग ने सर्वे किया था, लेकिन इस बार वह काम नहीं आएगा। दोबारा सर्वे के साथ ही रुद्रप्रयाग जिला प्रशासन से मंदिर से जुड़े राजस्व अभिलेखों की जानकारी ली जाएगी।